Raju Ladhroiea

Add To collaction

अधूरी चाहत

चाहकर भी कभी उसकी खामोशी ना समझ पाए,
मुस्कुराहटों में छिपी उदासी ना समझ पाए।


समझदारियाॅ॑ होकर भी हम नासमझ ही रह गए,
बेबसी में मजबूरियों के ये जुदाई भी सह गए।


ना मिला तेरा साथ तो आगे बढ़ने की वजह ना थी,
तेरे आॅ॑सुओं की गवाही में जिंदगी से कम कोई सजा ना थी।


दिल दोनों का ही टूटा, ये तकदीरों का ही खेल है,
कच्चे मकानों से महलों का कभी ना हुआ मेल है।


कुछ वक्त की थी साजिशें, कुछ अपनों ने बुना जाल था,
ना कर सके हिफाजत इसकी, बस यही मलाल था।

   18
4 Comments

बेहतरीन उम्दा, लाजवाब

Reply

Nisha

16-Jan-2021 10:18 PM

vse kiske hifazat nhi kr paaye Raju ji...

Reply

Raju Ladhroiea

18-Feb-2021 06:33 PM

Naam Gumnaam Hai😂😂😂

Reply

Rukayya

16-Jan-2021 09:22 PM

sunder panktiya likhi aapne ..

Reply